Publish Date: | Mon, 13 Sep 2021 09:09 AM (IST)
Bhopal Arts And Culture News: भोपाल (नवदुनिया रिपोर्टर)। जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी, मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद द्वारा आयोजित तीनदिवसीय ‘पहचान समारोह” के अंतिम दिन रविवार शाम को स्वांग शैली में ‘सूरा’ की नाट्य प्रस्तुति हुई। प्रस्तुति का निर्देशन टीकमगढ़ के संदीप श्रीवास्तव ने किया। स्वांग बुंदेलखंड का पारंपरिक लोक-नाट्य है। इसे प्राय: नृत्य राई में विश्राम के क्षणों पर किया जाता है। स्वांग में किसी प्रसिद्ध रूप की नकल रहती है। इस प्रकार से स्वांग का अर्थ किसी विशेष, ऐतिहासिक या पौराणिक चरित्र, लोकसमाज में प्रसिद्ध चरित्र के अनुरूप अभिनय करना है। स्वांग की शुरुआत देवी-देवता की आराधना से होती है। इस प्रस्तुति का लाइव ऑनलाइन प्रसारण किया गया। इसे ऑनलाइन दर्शकों द्वारा काफी पसंद किया गया।
सेठ को छोड़ सूरा की हो गई सेठानी : सूरा स्वांग में एक सेठ अपनी पत्नी को लेकर दूसरे गांव किराना बेचने जाता है, जहां उसे गांव का एक चौकीदार दुकान रखने नहीं देता है। लेकिन सेठ चौकीदार को रिश्वत देकर मना लेता है। वहीं सेठ, चौकीदार से एक किराये का मकान और मकान की रखवाली के लिए दूसरे चौकीदार की मांग करता है। चौकीदार सूरा नामक एक आदमी को सेठ से मिलाता है। सूरा को दिखाई भी देता है और सुनाई भी, लेकिन वह अंधे होने का ढोंग रचता है। वह मात्र दो रुपए मासिक और हर दिन सूखी रोटी, नमक और प्याज पर ही काम करने को तैयार हो जाता है। अगले ही दिन सेठ दूसरे गांव किराना बेचने निकल जाता है। सेठ के जाने के कुछ दिन बाद सूरा सेठानी को अपनी बातों में फंसाकर उससे शादी कर लेता है और घर छोड़ अन्य जगह भगा ले जाता है। करीब एक महीने बाद जब सेठ वापस लौटता है तो देखता है कि उसकी पत्नी घर पर नहीं है। वह चौकीदार को बुलाकर गांव-गांव अपनी पत्नी को ढूंढता है। पत्नी सूरा के साथ मिल जाती है और सब मिलकर थाने जाते हैं। जहां थानेदार कहता है कि सेठ और सूरा तुम दोनों ही अपनी पत्नी को तीन-तीन बार आवाज लगाओगे। जिसकी आवाज पर वह हामी भर देगी, वह उसी की पत्नी होगी। सेठ के तीन बार आवाज लगाने पर सेठानी तैयार नहीं होती है और सूरा की तीसरी आवाज में सेठानी तैयार हो जाती है। इस तरह वह हमेशा के लिए सूरा की पत्नी हो जाती है।
Posted By: Ravindra Soni

