फतेहपुर, जेएनएन। Religion Conversion in UP फर्जी दस्तावेजों से नागरिकता हासिल करने पर जेल भेजा गया नेपाल मूल का मौलाना मतांतरण के खेल में भी फंस चुका है। एक हिंदू युवती का मतांतरण कराकर मस्जिद में निकाह कराने का मामला जांच में सामने आने पर पुलिस ने धोखाधड़ी व जालसाजी के मुकदमे में मतांतरण कराने की धारा बढ़ा कर छानबीन में जुट गई है। एलआइयू व आइबी मौलाना के संपर्कों को तलाशने के साथ खातों की जांच की।
गाजीपुर कस्बा स्थित बड़ी मस्जिद कमेटी के सदस्य अब्दुल मजीद की शिकायत पर पुलिस ने जांच किया तो पता चला कि बीस साल पहले नेपाल से आया मौलाना फिरोज आलम खुद की पहचान छिपा फर्जी दस्तावेज तैयार करवाकर भारतीय नागरिकता हासिल कर ली थी। जिस पर धोखाधड़ी व जालसाजी का मुकदमा दर्ज कर पुलिस ने उसे गुरुवार जेल भेज दिया। जिसके पास से बरामद निर्वाचन पत्र, आधारकार्ड, पैनकार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, मोबाइल फोन व पासपोर्ट को पुलिस ने सीज भी कर दिया है। मौलाना पर लगे मतांतरण के आरोपों की जांच में पता चला कि एक साल पहले एक गांव मुस्लिम युवक हिंदू युवती का बहला-फुसला कर भगा लाया था, मौलाना ने युवती का मतांतरण कराकर निकाह करा दिया था। इसी आधार पर पुलिस ने मतांतरण कराने की धारा बढ़ाकर जांच शुरू कर दी है। उधर एलआइयू प्रभारी दिनेश पाठक ने बताया कि मौलाना के क्रिया कलापों के साथ उसके द्वारा बनवाए गए प्रमाण पत्र व पासपोर्ट की रिपोर्ट नेपाल दूतावास को भेज दी गई है।
दीनी तालीम के नाम पर मतांतरण : गाजीपुर कस्बे की बड़ी मस्जिद में दीनी तालीम के नाम पर मौलाना मतांतरण कराने के लिए प्रेरित करता था।बताते है कि मस्जिद के पास ही एक किराए का कमरा लिए हुए था। मौलाना कस्बा समेत क्षेत्र के बीस से अधिक गांवों से जुड़ा हुआ था। देश में मतांतरण का जाल बिछाने वाले उमर गौतम से मौलाना के तार जुड़े होने की चर्चा पर पुलिस साक्ष्य जुटाने में लगी हुई है।
जरूरत पड़ी तो मौलाना को रिमांड में लेंगे : एसओ नीरज यादव ने बताया कि मौलाना को जेल भेज दिया गया है और धोखाधड़ी के मुकदमें में मतांतरण की धाराएं बढ़ा दी गई है और इसके एक साथी को चिह्नित भी कर लिया गया है जो बकेवर थाने के एक गांव का है और गाजीपुर कस्बा में विगत कई वर्षों से रह रहा है। इसी के साथ मौलाना के दूसरे साथी को चिह्नित करने का काम चल रहा है। बताया कि एक युवक-युवती का निकाह कराने जैसे आरोप के बाबत पूछताछ की जरूरत पड़ी तो मौलाना को जेल से रिमांड में लेकर मतांतरण के बारे में पूछताछ की जा सकती है।
फंडिंग की जांच में सिर्फ 26 हजार रुपये : गाजीपुर पुलिस व एलआइयू की संयुक्त टीम ने मौलाना फिरोज आलम के पासबुक की जांच पड़ताल की तो उसमें 26 हजार रुपये ही निकले। वर्ष 2016 से रुपयों की निकासी व जमा भी नहीं कराए गए। एसओ ने बताया कि विदेशों से रुपयों की फंडिंग के संदेह पर इसके एसबीआइ स्थित पासबुक की जांच कई तो 26 हजार रुपये ही थे। जिससे फंडिंग जैसी कोई बात नहीं है।
खूफिया तंत्र ने इस्लामिक संस्थानों की जांच की: एलआइयू प्रभारी दिनेश पाठक ने बताया कि जेल गया मौलाना फिरोज आलम विगत वर्ष 2001 में भारत आ गया था। जांचोपरांत ये स्पष्ट हुआ है कि यहां इसने वर्ष 2008 में बिंदकी मदरसे में मुंशी (हाईस्कूल समकक्ष) की तालीम पूरी की। वर्ष 2009 में शहर स्थित सनगांव इस्लामिक शिक्षण संस्थान में मौलवी (इंटर समकक्ष) सनगांव से ही कामिल (स्नातक समकक्ष) व हसवा इस्लामिक शिक्षण संस्थान में फाजिल (समकक्ष परास्नातक) की तालीम हासिल किया था। इसके बाद वह गाजीपुर मस्जिद में इमाम हो गया था।
मुहर्रम में कमेटी सदस्यों से हुआ था झगड़ा : गाजीपुर कस्बा में चर्चा रही कि गत शहादत पर्व मुहर्रम के समय बड़ी मस्जिद के तत्कालीन इमाम फिरोज आलम व कमेटी सदस्यों के बीच प्रधानी के चुनावी खुन्नस को लेकर कहासुनी हो गई थी। चुनाव में पक्ष का प्रधान न जीत पाने पर कमेटी सदस्यों ने मौलाना को पद से निष्कासित कर दिया गया था। इसके बाद कमेटी के कुछ सदस्यों ने मौलाना की पहचान को उजागर कर दिया था। जिससे विदेशी नागरिक के भारतीय नागरिकता लेने की पोल खुल सकी।
Edited By: Shaswat Gupta